शिक्षकगण

आचार्य ओमप्रकाश जी आर्य

आचार्य ओंकार जी

आचार्य महीपाल जी

डाॅ० स्वामी महाचैतन्य जी

श्री जयकरण जी

श्री सत्यप्रकाश जी

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एक बार गुरुकुल में प्रवेश हो जाने के बाद प्रायः दश वर्ष का अध्ययन काल हैं। इस • सुदीर्घकाल के बीच अतीव आवश्यकता होने पर (तद्यथा- अपने सहोदर भाई या बहन के विवाह प्रसंग या परिवार के निकट संबन्धी की मृत्यु आदि के अवसर पर ही गृह-गमन का अवकाश मिलता है। वार्षिक अवकाश देने का प्रावधान नहीं है ।।
महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, रोहतक (हरियाणा) के अन्तर्गत संचालित होने वाले श्रीमद्दयानन्द आर्ष विद्यापीठ का नियत पाठ्यक्रम ही आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय, आबूपर्वत का पाठ्यक्रम है ।।
स्कूल में पांचवीं कक्षा उत्तीर्ण कर लेने वाले छात्रों को प्रति वर्ष मई मास के अन्तिम दिनों में होने वाले वार्षिकोत्सव पर लिखित तथा मौखिक परीक्षा लेकर, संतोषकारक परिणाम प्राप्त होने पर गुरुकुल में प्रविष्ट किया जाता है ।।
मुख्यरूप से संस्कृतभाषा, संस्कृत भाषा का व्याकरण, निरुक्त तथा आंशिक रूप में वेद, उपनिषद् एवं दर्शनशास्त्र के अध्यापन के साथ-साथ गणित, विज्ञान, इतिहास-भूगोल तथा अंग्रेजी भाषा आदि विषय पढाये जाते हैं। साथ ही कम्प्यूटर की भी शिक्षा दी जाती है ||
१. संस्कृत व्याकरण
२. संस्कृत साहित्य
३. वेद सिद्धांत
४. हिन्दी
५. अंग्रेजी
६. गणित
७. विज्ञान
८. सामाजिक विज्ञान
१. संस्कृत व्याकरण
२. संस्कृत साहित्य
३. हिन्दी साहित्य
४. अंग्रेजी
५. गणित
६. विज्ञान
७. सामाजिक विज्ञान
१. संस्कृत व्याकरण
२. संस्कृत साहित्य एवं वेद सिद्धांत
३. हिन्दी साहित्य
४. इंग्लिश
५. इतिहास
१. संस्कृत व्याकरण
२. वेद दर्शन साहित्य
३. लौकिक साहित्य
४. इंग्लिश
५. हिन्दी साहित्य
आबू पर्वत जैसी प्राचीन रमणीय तपस्थली की पर्वतमालाओं के मध्य सुरम्य घाटी में 18 बीघा का विशाल वृक्षों से हरा-भरा परिसर । सात्विक भोजन। तपस्वी तथा विद्वान् गुरुजन । शारीरिक शक्ति के विकास के साथ ही आत्मिक उन्नति के विकास की सच्ची दिशा प्रदर्शित करने वाला आर्ष पाठविधि का सुप्रसिद्ध अध्ययन-अध्यापन केन्द्र | सुविधापूर्ण विशाल गौशाला ।।
गुरुकुल के विशाल परिसर में ही सम्पूर्णरूप से संगमरमर के प्रस्तर से निर्मित 12 स्तम्भों की एक अनुपम यज्ञशाला है । आर्यजगत् की इस विशेष यज्ञशाला का निर्माण स्व. श्री बंशीधर जी अग्रवाल (अहमदाबाद) की स्मृति में उनके सुपुत्रों ने (संवत् 2065 में) करवाया है ।।
गुरुकुल में 6 आधुनिकतम कम्प्यूटर से संपन्न एक कक्ष है। जिसमें इन्टरनेट की सुविधा भी उपलब्ध है। गुरुकुल के दसवीं कक्षा से लेकर आचार्य कक्षा तक के छात्र यहाँ पर कम्प्यूटर के माईक्रोसोफ्ट ऑफिस के साथ-साथ अन्य उपयोगी सोफ्टवेर के उपयोग का प्रशिक्षण लेते हैं। साथ ही इन्टरनेट के उपयोग के द्वारा संस्कृत की विविध संस्थाओं से परिचित होते हैं और संस्कृत के आधुनिकतम संशोधन कार्य से भी परिचय प्राप्त करते हैं ।।
जूनागढ़ की सुप्रसिद्ध गीर नस्ल की लगभग चालीस से भी अधिक स्वस्थ गायों वाली एक विशाल गौशाला गुरुकुल की अपनी एक विशेषता है। इन गायों से भूलोक का अमृतरुप जो दूध प्राप्त होता है, वह गुरुकुल के सभी ब्रह्मचारियों के उपयोग के लिये होता है। बिना किसी भेदभाव के सभी ब्रह्मचारियों को प्रातः सायं गौ का दूध दिया जाता है। साथ ही गोपालन की शिक्षा भी छात्रों को दी जाती है ||
प्रत्येक वर्ष मई मास के अन्तिम तीन दिनों (शनि, रवि, सोमवार) में गुरुकुल का वार्षिकोत्सव भव्यरूप से मनाया जाता है। (सामान्य रूप से इन दिनों में गर्मी का वातावरण होता है, परन्तु आबूपर्वत पर इन दिनों में भी वातावरण शीतल ही होता है। इस अवसर पर यज्ञ, भजनोपदेश तथा विद्वानों के व्याख्यानों के अतिरिक्त गुरुकुल के ब्रह्मचारियों के योगासन, प्राणायाम, मल्लखंभ कराटे तथा लाठी-भाला- तलवार-चालन इत्यादि कई शारीरिक शक्ति के प्रदर्शन एवं व्याख्यान, शास्त्रार्थ तथा शास्त्रस्मरण की प्रस्तुति के कार्यक्रम भी होते हैं। उत्सव का निमन्त्रण सार्वजनिक रूप से दिया जाता है ।।
4-30am
4:35am - 4:45am
4:45am - 6:15am
6:15am - 7:00am
7:00am - 8:00am
8:00am - 8:30am
8:35am - 11:45am
12:00pm - 12:30pm
12:30pm - 1:30pm
1:30pm - 4:30pm
4:30pm - 6:00pm
6:30pm - 7:15pm
7:15pm - 8:00pm
8:00pm - 9:30pm
9:30pm - 4:30am